SUBHASH SEHGAL

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关于作者

तनिक बतियाते हैं "

मित्रो(हाहा),

आओ तनिक बतियाते हैं।कुछ अपनी कुछ जग की सुनाते हैं। वर्ष १९७३ की बात है, मैनें मायानगरी मुंबई में पदार्पण किया ।आया तो था मैं फिल्म सम्पादक बनने और एक सफल फिल्म सम्पादक बन भी गया ।२२ वर्ष तक जम के फिल्मों का सम्पादन किया, इस अंतराल में लगभग लगभग २५० हिंदी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओँ की फ़िल्में समपादित(एडिट)की।

फिर १९९२ में सम्पादन छोड़ लेखन ,दिग्दर्शन ,निर्माण अदि क्षेत्रों में घुसने का प्रयास किया।और कुछ फ़िल्में एवं धारावाहिक का निर्माण एवं निर्देशन किया जिनका विवरण इस पुस्तक के अंत में मिल जायेगा ।

२०१५ से हिंदी काव्य लिखने का जूनून सवार है। भिन्न भिन्न विषयों पर लगभग १००० कविताएं लिख चुका हूँ ।

अब तक मेरी दस हिंदी कविताओं की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।

लम्हे

आहट अंतर्मन की

मेरे खेत में कविता उगे

शब्दों की कड़ाही से

तिनके

उद्गार

दिल की अलमारी से

टहनियां

इक कलम चली

एवं

पगडंडियां

मेरी कविताओं में समाज, राजनीती,धर्म,रिश्ते,नाते,आतंकवाद,प्रणय-प्रेम आदि सभी विषयों को गंभीरता एवं व्यंगात्मक दोनों शैलिओं में प्रस्तुत किया गया है

परन्तु अक्सर आत्महत्या करता मजबूर किसान, आत्मदाह करती असहाय बाला, मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर करता सेना का जवान, भ्र्ष्ट राजनैतिक तंत्र, आतंकवादी एवं देशद्रोही कीट,हमारा अजातशत्रु पाकिस्तान आदि आदि मेरी कविताओं के केंद्रबिंदु होते हैं

यदा कदा शुद्ध हास्य भी लिख लेता हूँ

आशा करता हूँ कि पाठकगण मेरी कविताओं के पाठन का सम्पूर्ण आनंद लेंगे।

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